भारतीय भाषाओं के उपयोग में अंग्रेजी का दुष्प्रभाव Téma indítója: Mrudula Tambe
| Mrudula Tambe India Local time: 18:33 angol - maráthi + ... Az Ő emlékére:
इन दिनों भारतीय भाषाओं के उपयोग में अंग्रेजी का दुष्प्रभाव न केवल शब्दों के उपयोग तक सीमित है अपि तु वाक्यरचनाओं पर भी इसका असर दिख रहा है जैसे की आज तक हम धन्यवाद देते आएँ है लेकिन हाल ही में ह... See more इन दिनों भारतीय भाषाओं के उपयोग में अंग्रेजी का दुष्प्रभाव न केवल शब्दों के उपयोग तक सीमित है अपि तु वाक्यरचनाओं पर भी इसका असर दिख रहा है जैसे की आज तक हम धन्यवाद देते आएँ है लेकिन हाल ही में हिंदी / मराठी धारावाहिकों में लोग धन्यवाद करते हैं जों की thank you का सीधा भाषांतर है न की अनुवाद ।
जब मैनें नया नया अनुवाद का काम करना चालू किया था तो मैं जिस वृत्तपत्र के लिएँ काम करती थी वहाँ के वरिष्ठ अधिकारीओं ने अंग्रेजी का भारतीय भाषाओं मे अनुवाद करते समय कौनसे एहतियाद बरतने चाहिएँ यह सुस्पष्ट करते हुएँ मुझें २ उदाहरण दिएँ थें -
१) Pasteurized Cow Milk का अनुवाद करते समय गैया का पाश्चराईज़ड दुध ऐसे लिखना चाहिएँ और न की पाश्चराईज़ड गैया का दुध । क्युं की पाश्चराईज़ड दुध होता है न की गैया, तो भारतीय भाषाओं के मानक के हिसाब से विशेषण और विशेष्य एक साथ आने चाहिएँ ।
२) Any working day का अनुवाद कामकाज का कोई भी दिन ऐसे होना चाहिएँ और न की कोई भी कामकाज का दिन, क्युं की कामकाज कोई भी नहीं है बल्कि दिन कोई भी है ।
दूसरी एक बात है - चलचित्रवाणी अथवा अन्य प्रसार माध्यमों में आने वाले विज्ञापन - हाल ही में मैनें एक विज्ञापन देखा उसमें एक युवती कहती है, ....... साबुन है ना तो सुंदरता को डर किस बात का? अब सुंदरता किसी चीज़ से डरती है यह सुनना अटपटासा लगता है । ऐसे बहोत सारे विज्ञापन हम रात दिन सुनते रहते है जिसमें व्याकरण को तोड मरोड कर पेश किया जाता है । जो अपने मातृभाषाओं के लिएँ तीव्र हानिकारक है ।
क्या इसका उत्तरदायित्व हम भाषा शास्त्रीओं का नही है?
(इस लेख में मेरा जो हिंदी का लेखन है वह शायद आपके अपेक्षानुरूप सुयोग्य नही रहा होगा । कृपया मैं अभी भी हिंदी भाषा की छात्रा हूँ यह ध्यान में रखते हुएँ आप मुझे क्षमा करें।) ▲ Collapse | | | C.M. Rawal India Local time: 18:33 angol - hindi + ... कृपया अपनी हिंदी में वर्तनी पर विशेष ध | Aug 22, 2009 |
मृदुला जी,
माना कि आप छात्रा हैं, पर आपकी हिंदी में वर्तनी संबंधी ऐसी अशुद्धियाँ हैं जो सामान्य पाठक को बहुत खटकती हैं। आपने अपने विचारोत्तेजक लेख में कुछ शब्दों को जिस रूप में लिखा है, वे ... See more मृदुला जी,
माना कि आप छात्रा हैं, पर आपकी हिंदी में वर्तनी संबंधी ऐसी अशुद्धियाँ हैं जो सामान्य पाठक को बहुत खटकती हैं। आपने अपने विचारोत्तेजक लेख में कुछ शब्दों को जिस रूप में लिखा है, वे हिंदी में स्वीकार्य नहीं हैं। एक अच्छे अनुवादक के लिए यह ज़रूरी होता है कि उसे लक्ष्य भाषा के शब्दों, उनके विभिन्न रूपों, वाक्य-रचना और वर्तनी आदि का समुचित ज्ञान हो।
आपको हिंदी की किसी भी स्तरीय पुस्तक में इन शब्दों के इस रूप में प्रयोग नहीं मिलेंगे। मुझे तो लगता है कि ये लापरवाही के कारण हुई आपकी अपनी भूलें हैं जिन्हें आपको यथाशीघ्र सुधार लेना चाहिए। यदि आपको इनमें से किसी शब्द की वर्तनी या उसके रूप आदि के बारे में कोई संदेह हो तो बताएँ, मैं उसका स्पष्टीकरण करने का प्रयास करूँगा। मेरा सुझाव है कि आप हिंदी भाषा पर अपनी पकड़ को मज़बूत बनाने के लिए हिंदी के अच्छे लेखकों की कुछ पुस्तकें पढ़ें और हिंदी व्याकरण की किसी मानक पुस्तक का भी अध्ययन करें।
वाक्यरचनाओं = वाक्य-रचनाओं
आएँ है = आए हैं
जों की = जो कि
मैनें = मैंने
लिएँ = लिए
अधिकारीओं = अधिकारियों
कौनसे = कौन-से
चाहिएँ = चाहिए
हुएँ = हुए
मुझें = मुझे
दिएँ = दिए
थें = थे
गैया = गाय
पाश्चराईज़ड = पाश्चराईज़्ड
दुध = दूध
न की = न कि
क्युं की = क्योंकि
मैनें = मैंने
अटपटासा = अटपटा-सा
बहोत सारे = बहुत-से
रात दिन = रात-दिन
तोड मरोड = तोड़-मरोड़
अपने मातृभाषाओं = अपनी-अपनी मातृभाषाओं
तीव्र हानिकारक है । = बहुत हानिकारक है।
भाषा शास्त्रीओं = भाषाशास्त्रियों / भाषाविदों
नही = नहीं
कृपया इसे आलोचना के रूप में न लें।
चन्द्र मोहन रावल ▲ Collapse | | | कृपया अशुद्ध वर्तनी को "न" कहें! | Oct 9, 2009 |
रावलजी का भाषा के संबंध में प्रश्न उठाना यहां बहुत अच्छा लगा। ऐसा लगा मानो कम से कम कुछ तो ऐसे विद्वान हैं जो समाज में भाषा का स्तर उठाने के अपने कर्त्तव्य के प्रति जागरूक हैं और अपने कर्त्�... See more रावलजी का भाषा के संबंध में प्रश्न उठाना यहां बहुत अच्छा लगा। ऐसा लगा मानो कम से कम कुछ तो ऐसे विद्वान हैं जो समाज में भाषा का स्तर उठाने के अपने कर्त्तव्य के प्रति जागरूक हैं और अपने कर्त्तव्य से विमुख होना पसंद नहीं करते। अन्यथा, अनुवादक के रूप में पूर्णकालिक नौकरी करते समय ऐसे कई अवसर आए जब मुझे ऐसे लचर भाषाविदों के अनुवादों की समीक्षा करनी पड़ी जिनमें ऐसी ग़लतियां रहीं, जिनकी अपेक्षा मैं दसवीं कक्षा के हिंदी के किसी साधारण छात्र तक से नहीं कर सकता। ऐसे तथाकथित अनुवादक फ़्रीलांसरों तथा पूर्णकालिक अनुवादकों के प्रतिष्ठित स्थानों पर भी कार्य कर रहे हैं और आश्चर्यजनक रूप से कई बार ऐसे लचर अनुवादों को विज्ञापनों के तौर पर मैं प्रतिष्ठित समाचारपत्रों में छपे हुए भी देख चुका हूं! क्या तो ऐसे विज्ञापनों से किसी उत्पाद का भला होगा, और क्या ही उसकी साख बाज़ार में बनेगी? सहज ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
जयतु चंद्रस्य मोहन: चन्द्रमोहन: इति।
रावल जी रावल जी,
छान ही डालो चावल जी।
इस चावल में घुन भी हैं,
लाओ सावन के बादल जी।
यह मेरा विनम्र निवेदन है कि वे सभी अनुवादक, जिन्हें अपनी वर्तनी संबंधी त्रुटियों का भान है, कृपया इस संदेश को अन्यथा न लेते हुए अपनी वर्तनी को सुधारने की आवश्यकता को समझें तथा भाषा और अनुवाद के क्षेत्र को बेहतर बनाने में सहयोग दें।
धन्यवाद।
प्रकाश शर्मा
[Edited at 2009-10-09 21:38 GMT]
[Edited at 2009-10-09 21:39 GMT]
[Edited at 2009-10-09 21:41 GMT] ▲ Collapse | | |
Dear Reader,
In continuation to the previous post, I am writing hereby.
Recently, I received a review job of around total 8 translations. When I went through with all those, 2-3 of them were absolutely ridiculous by number of grammar and spelling mistakes in a document of around 300 words only! I provided them '0', yes 'zero' in 'grammar/spelling' section of the evaluation sheet.
This was just another 'review' job which I receive usually and I have quoted ... See more Dear Reader,
In continuation to the previous post, I am writing hereby.
Recently, I received a review job of around total 8 translations. When I went through with all those, 2-3 of them were absolutely ridiculous by number of grammar and spelling mistakes in a document of around 300 words only! I provided them '0', yes 'zero' in 'grammar/spelling' section of the evaluation sheet.
This was just another 'review' job which I receive usually and I have quoted a single example of the poor linguistic standards.
I am always surprised to see the poor linguistic level of such professsional HINDI translators!
Thanks for your time,
PRAKAASH
PRAKAASH wrote:
रावलजी का भाषा के संबंध में प्रश्न उठाना यहां बहुत अच्छा लगा। ऐसा लगा मानो कम से कम कुछ तो ऐसे विद्वान हैं जो समाज में भाषा का स्तर उठाने के अपने कर्त्तव्य के प्रति जागरूक हैं और अपने कर्त्तव्य से विमुख होना पसंद नहीं करते। अन्यथा, अनुवादक के रूप में पूर्णकालिक नौकरी करते समय ऐसे कई अवसर आए जब मुझे ऐसे लचर भाषाविदों के अनुवादों की समीक्षा करनी पड़ी जिनमें ऐसी ग़लतियां रहीं, जिनकी अपेक्षा मैं दसवीं कक्षा के हिंदी के किसी साधारण छात्र तक से नहीं कर सकता। ऐसे तथाकथित अनुवादक फ़्रीलांसरों तथा पूर्णकालिक अनुवादकों के प्रतिष्ठित स्थानों पर भी कार्य कर रहे हैं और आश्चर्यजनक रूप से कई बार ऐसे लचर अनुवादों को विज्ञापनों के तौर पर मैं प्रतिष्ठित समाचारपत्रों में छपे हुए भी देख चुका हूं! क्या तो ऐसे विज्ञापनों से किसी उत्पाद का भला होगा, और क्या ही उसकी साख बाज़ार में बनेगी? सहज ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
जयतु चंद्रस्य मोहन: चन्द्रमोहन: इति।
रावल जी रावल जी,
छान ही डालो चावल जी।
इस चावल में घुन भी हैं,
लाओ सावन के बादल जी।
यह मेरा विनम्र निवेदन है कि वे सभी अनुवादक, जिन्हें अपनी वर्तनी संबंधी त्रुटियों का भान है, कृपया इस संदेश को अन्यथा न लेते हुए अपनी वर्तनी को सुधारने की आवश्यकता को समझें तथा भाषा और अनुवाद के क्षेत्र को बेहतर बनाने में सहयोग दें।
धन्यवाद।
प्रकाश शर्मा
[Edited at 2009-10-09 21:38 GMT]
[Edited at 2009-10-09 21:39 GMT]
[Edited at 2009-10-09 21:41 GMT]
[Edited at 2009-11-08 00:16 GMT] ▲ Collapse | |
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आनंद Local time: 18:33 angol - hindi त्रुटियाँ कौन बताएगा? | Nov 13, 2009 |
अकसर ऐसा देखा गया है कि फोरम में लोग वर्तनी की त्रुटियाँ करते हैं, ध्यान आकर्षित करने पर अपनी गलतियों को जस्टीफ़ाई करने की कोशिश नाना प्रकार के तर्क देकर भी करते हैं कि "मैं अनुवादक हूँ, प्रू�... See more अकसर ऐसा देखा गया है कि फोरम में लोग वर्तनी की त्रुटियाँ करते हैं, ध्यान आकर्षित करने पर अपनी गलतियों को जस्टीफ़ाई करने की कोशिश नाना प्रकार के तर्क देकर भी करते हैं कि "मैं अनुवादक हूँ, प्रूफ़रीडर नहीं", "या त्रुटियाँ मात्र 5 प्रतिशत हैं इसलिए जायज हैं" आदि, आदि..
मैं समझता हूँ कि ऐसे फोरम में, जो सर्वसुलभ है, गलतियाँ उजागर होने से हमारी साख अपने सहकर्मियों और ग्राहकों के बीच बिगड़ सकती है। उसी प्रकार, जैसे भरी कक्षा में किसी छात्र की गलतियों को उजागर किया जाए। विशेषकर वर्तनी त्रुटियाँ स्वीकार करने में जैसे जान ही निकलती है।
तो क्यों न कोई ऐसा फोरम बनाया जाए, चाहे याहू या गूगल में कोई ग्रुप बनाया जाए, जो हम हिंदी अनुवादकों को ही accessible हो और उसमें अप बेधड़क होकर अपना अनुवाद, या वर्तनी संबंधी कोई शंका रख सकें। इस अपेक्षा के साथ, कि वहाँ हमारी गलतियों को कोई हूट नहीं करेगा, हमारे धंधे पर विपरीत असर नहीं पड़ेगा और न ही इसे उजागर होने से कोई "बेइज्जती" होगी। और उस फोरम में आप जैसे वरिष्ठ लोगों के विचारार्थ अपना सैंपल भी रखें। आप वरिष्ठ लोग उसमें अपना मार्गदर्शन दें...
आनंद ▲ Collapse | | | | To report site rules violations or get help, contact a site moderator: You can also contact site staff by submitting a support request » भारतीय भाषाओं के उपयोग में अंग्रेजी का दुष्प्रभाव Wordfast Pro | Translation Memory Software for Any Platform
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